तेरे पास जो हैं उसकी क़द्र कर औऱ सब्र कर दीवाने, यहाँ तो आसमां के पास भी, खुद की जमीं नहीं हैं.
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Showing posts from April, 2018
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एक था राजा उसने एक तोता पाला था एक दिन तोता मर गया राजा ने मंत्री को कहा: मंत्रीप्रवर! हमारा तोते का पिंजरा सूना हो गया है इसमें पालने के लिए एक तोता लाओ अब, तोते सदैव तो मिलते नहीं लेकिन राजा पीछे पड़ गये तो मंत्री एक संत के पास गये और कहा: भगवन्! राजा साहब एक तोता लाने की जिद कर रहे हैं आप अपना तोता दे दें तो बड़ी कृपा होगी संत ने कहा: ठीक है, ले जाओ। राजा ने सोने के पिंजरे में बड़े स्नेह से तोते की सुख-सुविधा का प्रबन्ध किया ब्रह्ममुहूर्त होते ही तोता बोलने लगता: ओम् तत्सत्....ओम् तत्सत् ... उठो राजा! उठो महारानी! दुर्लभ मानव-तन मिला है यह सोने के लिए नहीं, भजन करने के लिए मिला है। 'चित्रकूट के घाट पर , भई संतन की भीर। तुलसीदास चंदन घिसै, तिलक देत रघुबीर।।' कभी रामायण की चौपाई तो कभी गीता के श्लोक तोते के मुँह से निकलते पूरा राजपरिवार बड़े सवेरे उठकर उसकी बातें सुना करता था राजा कहते थे कि सुग्गा क्या मिला, एक संत मिल गये हर जीव की एक निश्चित आयु होती है एक दिन वह सुग्गा मर गया राजा, रानी, राजपरिवार और पूरे राष्ट्र ने हफ़्तों शोक मनाया झण्डा झुका दिया गया किसी प्रकार रा
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एक 60 वर्षीय महिला ने अचानक ही मंदिर जाना छोड़कर स्विमिंग सीखने जाना शुरू कर दिया ! किसी ने कारण पूछा तो महिला ने बताया कि अक्सर मेरे बेटे और बहू का झगड़ा होता रहता है और बहू हमेशा पूछती रहती है कि अगर तुम्हारी माँ और मैं दोनो पानी मे डूब रहे हो तो तुम पहले किसे बचाओगे ! मैं अपने बेटे को किसी धर्मसंकट में नही डालना चाहती इसीलिये मैंने स्विमिंग सीख ली ! कुछ दिनों बाद फिर से पति-पत्नी के बीच झगड़ा हुआ और पत्नी ने फिर वही बात पूछी कि अगर तुम्हारी माँ और मैं डूब रहे होंगे तो तुम किसे पहले बचाओगे ? पति ने जवाब दिया मुझे पानी मे उतरने की जरूरत ही नही पड़ेगी क्योंकि मेरी माँ ने स्विमिंग सीख ली है, वो तुम्हे बचा लेगी ! पत्नी ने हार नही मानी और बोली नही-नही तुम्हे पानी मे कूदकर हम दोनों में से किसी एक को तो बचाना ही पड़ेगा ! पति ने जवाब दिया फिर तो पक्का तुम ही डूबोगी क्योंकि मुझे तो तैरना आता नही और मेरी माँ हम दोनों में से 100% मुझे ही बचायेगी !
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एक आदमी सब शरीफ पतियों की तरह ही अपनी बीबी से तंग था। उस की बीबी हर काम मे सिर्फ नुक्स निकालती थी। अगर वो अंडा boil कर देता तो कहती कि fry करना था... अगर fry करता तो कहती थी कि boil करना था। एक दिन पति ने दोनों बना दिए... पहले तो वो दोनों अंडों को गौर से देखती रही, फिर कहने लगी... न जाने तुम्हें अक्ल कब आएगी... जिस अंडे कों fry करना था उस को boil कर दिया और जिस को boil करना था उस को fry...!!
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शराब 🍺 के उस बार के सामने एक छोटा सा तालाब था। झमाझम ☔ बारिश हो रही थी और उस ☔ बारिश में पूरा भीगा हुआ एक बुजुर्ग आदमी एक छड़ी पकड़े था जिससे बँधा धागा तालाब के पानी में डूबा हुआ था। एक 🚶राहगीर ने उससे पूछा---" क्या कर रहे हो बाबा ? " बुजुर्ग---" 🐠 मछली पकड़ रहा हूँ। " राहगीर बारिश में भीगे उस बुजुर्ग को देख बहुत दुखी हुआ। बोला---" बाबा, मैं बार में 🍺 व्हिस्की पीने जा रहा हूँ। आओ तुम्हें भी एक 🍸पैग पिलाता हूँ। ऐंसे तो तुम्हे सर्दी लग जायेगी। आओ अंदर चलें। "🚶🚶 बार के गर्म माहौल में बुजुर्ग के साथ 🍸🍺🍸व्हिस्की पीते महाशय ने बुजुर्ग से पूछा---" हाँ तो, बाबा, आज कितनी 🐠🐠 मछलियाँ फसीं ? " बुजुर्ग बोला---" तुम आठवीं 🐠 मछली हो, बेटा! "
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ना ही मैं कबीर हूँ , ना ही मै रहीम हूँ... दीवाना हूँ चाहत का बस, महोब्बत से मैं अमीर हूँ... ना मैं चाहता हूँ हिरा-मोती, ना मैं चाहता हूँ राजे-रजवाड़े, बस वो चाहें सिर्फ मुझे, उसकी पाक रूह का मैं मुरीद हूँ... ना मैं चाहू की उसे रोकू, ना मैं चाहू की उसे टोकूँ.. बस वो समझे मुझे, इस ख्वाइश का मैं फकीर हूँ... ना मैं उसे रुलाऊ, ना ही मैं उसे सताउ.. बिना मेरे वो खुश रहे सदैव, ऐहसास से इस मैं सजीव हूँ... ना ही मैं कबीर हूँ , ना ही मै रहीम हूँ... दीवाना हूँ चाहत का बस, महोब्बत से मैं अमीर हूँ.
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संस्कृत की क्लास मे गुरूजी ने पूछा = पप्पू इस श्लोक का अर्थ बताओ. "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन". . पप्पू = राधिका शायद रस्ते मे फल बेचने का काम कर रही है.😎 . गुरूजी = मूर्ख, ये अर्थ नही होता है. चल इसका अर्थ बता:- "बहुनि मे व्यतीतानि, जन्मानि तव चार्जुन." 😋 . पप्पू = मेरी बहू के कई बच्चे पैदा हो चुके हैं, सभी का जन्म चार जून को हुआ है.😬😑 . गुरूजी गुस्सा हो गये फिर पुछा :- "तमसो मा ज्योतिर्गमय" पप्पु= तुम सो जाओ माँ मैं ज्योति से मिलने जाता हुँ. 😂😂😂 . गुरूजी = अरे गधे, संस्कृत पढता है कि घास चरता है. अब इसका अर्थ बता:- "दक्षिणे लक्ष्मणोयस्य वामे तू जनकात्मजा." . पप्पू = दक्षिण मे खडे होकर लक्ष्मण बोला जनक आजकल तो तू बहुत मजे मे है. . गुरूजी = अरे पागल, तुझे १ भी श्लोक का अर्थ नही मालूम है क्या ? पप्पू = मालूम है ना. 😃 . गूरूजी = तो आखरी बार पूछता हूँ इस श्लोक का सही सही अर्थ बताना.- हे पार्थ त्वया चापि मम चापि.......! . क्या अर्थ है जल्दी से बता. पप्पू = महाभारत के युद्ध मे श्रीकृष्ण भगवान अर्जुन से कह रहे