पप्पू : आधा किलो जलेबी खाके बिना पैसे दिए जाने लगा; दूकानदार: ओ भाई पैसे? पप्पू : नहीं हैं! दुकानदार ने उसे कूट दिया; वो उठकर कपड़े झाड़ते हुए बोला.. "भैया इसी भाव में एक किलो और तौल दो"
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भेड़ों से नेताजी ने वादा किया कि वे हर भेड़ को एक-एक कम्बल देने जा रहे है। भेड़ों का झुण्ड ख़ुशी से झूम उठा । उनकी हर्ष ध्वनि से आकाश में चहुंओर मिमियाहट गूंजने लगी। फिर एक मेमने ने धीरे से अपनी माँ से पूछ लिया : ये नेताजी हमारे कम्बलों के लिए ऊन कहाँ से लाने वाले हैं ? फिर वहां सन्नाटा था ।। काश कि ये सवाल लोग राजनीतिक दलो से पूछते कि फ्री चीनी, दुध, घी, मोबाइल फोन, साईकल , लेपटॉप आदि कहाँ से ला कर देगें ?